दिल्ली में सत्ता की मुश्किल डगर को पार करने के लिए भाजपा में गाजियाबाद के बागियों को सौपी कमान

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By Deepak Yadav

दिल्ली में सत्ता की मुश्किल डगर को पार करने के लिए भाजपा में गाजियाबाद के बागियों को सौपी कमान

दिल्ली में सत्ता की मुश्किल डगर

दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की डगर भले ही कठिन दिख रही हो, लेकिन पार्टी हर वो कोशिश कर रही है जो उसके हित में है। दिल्ली में भाजपा की सरकार 27 साल पहले आई थी। तब से कांग्रेस और आप की सरकार रही है।

अब इतने लंबे समय के सूखे को खत्म करने के लिए भाजपा नए नए चहरों पर चुनावी दांव चल रही है। गाजियाबाद से भी योद्धाओं को जिम्मेदारी सौंपी है। दिल्ली का दंगल बड़ा दिलचस्प होने वाला है। बवाना सीट पर भाजपा में रविन्द्र कुमार को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट की जिम्मेदारी गाजियाबाद के रहने वाले और योगी सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का पदभार संभाल रहे नरेंद्र कश्यप को सौंपी गई है। उनके नेतृत्व में भाजपा इस सीट पर 10 साल के बनवास को खत्म करने का प्रयास करेगी। आप ने इस सीट से जय भगवान को उतारा है।

वहीं, दिल्ली के मोतीनगर सीट पर भाजपा ने चुनाफ प्रचार की जिम्मेदारी गाजियाबाद के संजीव शर्मा को सौंपी है। संजीव लोकसभा, विधानसभा से लेकर निकाय चुनाव में भाजपा के लिए रोल मॉडल है। उनके नेतृत्व में भाजपा को कई सीटों पर फायदा हुआ है। मोतीनगर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना के बेटे हरीश खुराना मैदान में है। यह सीट भी भाजपा के लिए बहुत अहम है।

करावल सीट की बात करें तो यहां गाजियावाद के लोनी से विधायक नंद किशोर गुज्जर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह इस सीट का नेतृत्व करेंगे। दिल्ली की रिठाला सीट से मुरादनगर विधानसभा से दो बार के विधायके अजीतपाल त्यागी नेतृत्व करेंगे। भाजपा ने गाजियाबाद से सांसद अतुल गर्ग को भी जिम्मेदारी सौंपी है। अतुल दिल्ली में शाह चुनाग प्रभारी रहेंगे। वह भाजपा नेताओं के साथ रणनीत बनाकर सीट को भाजपा के खेमे में लाने की कोशिश करेंगे।

इधर, पार्टी रूठे नेताओं को मानने में जुटी

विधानसभा चुनाव में कई ऐसे प्रत्याशी हैं जिन्हें टिकट मिलना लगभग तय था। लेकिन, पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। अब पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें मानने की पुरजोर कोशिश कर रहे है। दिल्ली में इस बार भाजपा ने सत्ता में वापसी के लिए हर सीट पर मजबूत प्रत्याशी को उतारा है। आप आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भी मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। अब देखना होगा कि 8 फरवरी को सत्ता का ताज किसके सिर सजता है।

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